पीके का त्रिकोण बनाने का एजेंडा!
प्रशांत किशोर चुनाव बाद की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उनको यकीन है कि इस बार लोकसभा त्रिशंकु बननी है, जिसमें सिर्फ जनता दल यू के नेता के नाते उनकी भूमिका कोई खास नहीं रह जाएगी। वह भी तब जबकि जनता दल यू पहले से एनडीए का हिस्सा है। इसलिए वे ऐसी रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिससे चुनाव के बाद सरकार बनवाने और प्रधानमंत्री का नाम तय कराने में उनकी भूमिका हो। बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बनें पर उनका नाम तय कराने में प्रशांत किशोर की भूमिका बने।
जनता दल यू का उपाध्यक्ष बनने के तुरंत बाद एक अनौपचारिक बातचीत में पीके ने कहा था कि चुनाव से पहले ही कुछ पार्टियों का एक ऐसा समूह बन जाएगा, जिसके चुनाव में 70 से 80 सांसद जीतेंगे। यह समूह ही तय कराएगा कि कौन प्रधानमंत्री हो। उन्होंने इशारों में यह भी संकेत किया कि प्रधानमंत्री मोदी होंगे पर वे इस सात, आठ पार्टियों के समूह पर निर्भर रहेंगे। इस समूह में कुछ तटस्थ पार्टियां भी होंगी और कुछ एनडीए से जुड़ी पार्टियां भी होंगी, जो स्वतंत्र रूप से काम करेंगी।
इसी रणनीति के तहत वे शिव सेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिले हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक एनडीए की दो मौजूदा पार्टियां शिव सेना और जनता दल यू एक जैसा बरताव करेंगे। वे एनडीए में होकर भी स्वतंत्र राजनीति कर रहे हैं और आगे भी स्वतंत्र राजनीति करेंगे। इन दो के अलावा तीन पार्टियां – तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल तटस्थ हैं। चौथी पार्टी टीडीपी है, जो अभी तो भाजपा का विरोध कर रही है पर चुनाव के बाद उसका रुख बदल सकता है।
इन छह पार्टियों को कुल मिला कर 70 से 80 सीटें मिलने का अनुमान है। पीके का अनुमान है कि भाजपा को सरकार बनाने के लिए इतनी सीटों की जरूरत होगी। उस समय ये छह पार्टियां दबाव समूह के रूप में काम करेंगी और सरकार बनवाने व प्रधानमंत्री का नाम तय करने में अहम भूमिका निभाएंगी। अगर सचमुच ऐसा हो गया तो उस समय यह देखना भी दिलचस्प होगा कि प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए क्या भूमिका देखते हैं।
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